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इराक के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम शिया मौलवी अल-हाकिम का दिल का दौरा पड़ने से निधन

इराक (Iraq) के सबसे अनुभवी और प्रभावशाली मुस्लिम शिया मौलवी ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद मोहम्मद सईद अल-हाकिम (Grand Ayatollah Sayyed Mohammed Saeed al-Hakim) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 85 वर्ष के थे. उनके परिवार के सदस्यों ने यह जानकारी दी. उनके एक रिश्तेदार मोहसिन अल-हाकिम ने बताया कि अल-हाकिम का शुक्रवार को दक्षिणी नजफ (Najaf) शहर के अल हयात अस्पताल में निधन हो गया जहां दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें ले जाया गया था. उनके कार्यालय ने एलान किया कि अचानक बीमार पड़ने से उनका निधन हो गया.


अल-हाकिम को शिया इस्लाम की सर्वोच्च धार्मिक उपाधि अयातुल्ला अल-उज्मा दी गयी थी जिसका मतलब होता है ग्रैंड या सर्वोच्च अयातुल्ला. उन्हें 90 के दशक में इराक के शीर्ष शिया मौलवी अयातुल्ला अली अल-सिस्तानी के शीर्ष प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखा जाता था. नजफ में जन्मे अल-हाकिम जाने माने और सम्मानित हाकिम परिवार (Hakim family) के शिया विद्वान थे. उनके नाना मोहसिन अल-तबातबा अल-हाकिम (Mohsen Al-Tabataba’i Al-Hakim) एक विद्वान और शिया इस्लाम के प्रतिष्ठित विचारकों में से एक थे. उनके पिता मोहम्मद अली अल-हाकिम नजफ के सबसे सम्मानित मौलवियों में से एक थे.

इराक के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया निधन पर दुख

अयातुल्ला सैय्यद मोहम्मद सईद अल-हाकिम के दूसरे भाई सैय्यद अम्मार अल-हाकिम (Ammar al-Hakim) ‘नेशनल विज्डम मूवमेंट’ का नेतृत्व करते हैं. ये इराक की सबसे बड़ी शिया पार्टी में से एक है. अफगानिस्तान (Afghanistan) में जन्मे मोहम्मद इशाक अल-फयाद (Mohammed Ishaq al-Fayadh) के साथ अल-हकीम को इराक के शीर्ष शिया आध्यात्मिक नेता अल-सिस्तानी के उत्तराधिकारी के रूप में सबसे संभावित दावेदार के रूप में देखा गया था. इराक के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तथा अन्य नेताओं ने अल-हाकिम के निधन पर शोक जताया.

सद्दाम हुसैन ने किया था नजरबंद

बगदाद (Baghdad) में अमेरिकी दूतावास (US Embassy) ने उनके निधन पर शोक जताते हुए उन्हें क्षेत्र में शांति, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक बताया. मोहम्मद सईद अल-हकीम को शुरू से ही एक ऐसी शिक्षा से अवगत कराया गया था जो न्यायशास्त्र और धार्मिक अध्ययनों पर केंद्रित थी. उनके शिक्षकों में कुछ सबसे प्रमुख मौलवी थे. उन्होंने जल्द ही शिक्षण की ओर रुख किया और नजफ के प्रमुख शिया विद्वानों में से एक बन गए. नजफ शहर के अधिकांश शिया धार्मिक नेताओं की तरह उन्हें इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन के शासन के अंतिम दिनों में नजरबंद कर दिया गया था.