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अपनी शर्तों को लेकर अड़ा IMF, कही PM शहबाज शरीफ का टेंशन बढ़ाने वाली बात

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की टीम और पाकिस्तान सरकार के बीच तकनीकी वार्ता पूरी हो चुकी है. IMF ने पाकिस्तान की सरकार शहबाज को बड़ी टेंशन दे दी है. पाकिस्तानी मीडिया एआरवाई न्यूज के मुताबिक इस वार्ता के दौरान, आईएमएफ टीम सभी वस्तुओं पर सामान्य बिक्री कर (GST) को 17 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने की मांगों पर अड़ी रही है. इन शर्तों को मानाने के बाद पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर पहुंच सकती है, लेकिन IMF का मानना है कि जीएसटी में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी से अन्य 39 अरब रुपये एकत्र करने में मदद मिलेगी.

 

आईएमएफ ने पाकिस्तान (pakistan) पर न केवल आयकर छूट को समाप्त करने बल्कि 2022-23 के चालू वित्त वर्ष में फेडरल बोर्ड रेवेन्यू ऑफ पाकिस्तान (एफबीआर) के राजस्व लक्ष्य को पूरा करने के लिए फ्लड लेवी लगाने पर भी जोर दिया है. फंड ने पाकिस्तानी अधिकारियों से बैंकों द्वारा कमाए गए लाभ पर फ्लड लेवी बढ़ाने की भी मांग की है. सूत्रों ने कहा कि सरकारी टीम नीतिगत वार्ता के दौरान निजीकरण कार्यक्रम का रोडमैप भी देगी. यह भी पता चला कि आईएमएफ किसान पैकेज के साथ-साथ बलूचिस्तान नलकूप योजना में ऊर्जा संबंधी शुल्कों को सब्सिडी देने के लिए सहमत है.

आईएमएफ ने पाकिस्तानी सरकार से निर्यात क्षेत्र को ऊर्जा संबंधी सब्सिडी वापस लेने के लिए भी कहा है, हालांकि, प्रांत अपने दम पर निर्यात क्षेत्र को सब्सिडी देने के लिए स्वतंत्र होंगे. आईएमएफ ने पब्लिक सेक्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (PSDP) बजट और गैर-विकासात्मक खर्चों में कटौती की भी मांग की है, जबकि पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर या जीएसटी पर फैसला लिया जाना बाकी है. इस मुद्दे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि तकनीकी स्तर की वार्ता के दौरान पाकिस्तानी सरकार एनर्जी सर्कुलर कर्ज को 1,000 अरब रुपये तक कम करने पर सहमत हो गई है. पाकिस्तान IMF की कड़ी शर्तो को मानने के मजबूर है, लेकिन इससे देश में महंगाई आसमान छू जाएगी.

बेशक आईएमएफ सशर्त रूप से $1.3 बिलियन की किश्त जारी करने पर सहमत हो गया हो लेकिन वह पाकिस्तान को उसके आत्म सम्मान से समझौता करने पर भी विवश कर रहा है. IMF की ओर से रक्षा बजट को घटाने की बात इस्लामिक मुल्क को सबसे ज्यादा चुभ रही है. चारों ओर से अपने ही आतंकियों से घिरे पाकिस्तान को अब संस्था ने रक्षा बजट में धीरे-धीरे 10%-20% प्रति वर्ष की कटौती करने को कहा है. साथ ही IMF ने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1 प्रतिशत के बराबर लगभग 900 अरब रुपये के बड़े अंतर को दूर करने को लेकर सरकार के साथ बातचीत की है.